मां की अभिलाषा
मां की अभिलाषा
धरती मां की ये अभिलाषा
गूंजे सिर्फ प्यार की भाषा
कहीं ना कोई द्वेष भाव हो
प्रेम का नहीं कोई अभाव हो।
हरियाली हर ओर खिली हो
धन धान्य की न कोई कमी हो
भरे रहें सब खेत खलिहान
खुशहाल रहे हर इंसान।
जंगल का न होवे ह्रास
हर मौसम हो जाए खास
गर्मी सर्दी और बरसात
समय से ऋतुओं का आभास।
आम अनार सेब पपीते
फलें सभी न रहें ये रीते
पशु पक्षी जीव और जंतु
रहें विचरते धरती आकाश।
करो ना पर्यावरण को दूषित
सदा रहे ये धरा विभूषित
जंगल नदियां झील पहाड़
धरती मां का ये श्रृंगार।
एक कुटुंब सा ये जग सारा
मां की आंखों का ज्यूं तारा
सूरज धरती अम्बर चांद सितारे
सबके लिए हैं बने ये प्यारे।।
आभार – नवीन पहल – १६.०५.२०२३ ❤️❤️
# प्रतियोगिता हेतु
Punam verma
17-May-2023 09:04 PM
Very nice
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Abhinav ji
17-May-2023 08:44 AM
Very nice 👍
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
17-May-2023 08:19 AM
खूबसूरत भाव और संदेश देती हुई कविता
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